Swami Vivekananda: क्या था स्वामी जी की मौत का असल कारण, नहीं जानता हर कोई

Swami Vivekananda

स्वामी विवेकानंद, जो कि अनुशासन के पुजारी और भारत में युवाओं की एक पहचान हैं। जब भी देश में कभी युवाओं के बारे में बात होती है, तो उसमे Vivekananda जी का नाम ज़रूर आता है। विवेकानंद जी, जिन्होंने सिर्फ अपने विचारों से देश-विदेश जाकर लोगों के मन में क्रांति ला दी, दूसरे मुल्कों में सनातन धर्म का प्रचार किया, उनके जीवन की कुछ ऐसी अनसुनि कहानियाँ हैं, जो लोगों को जीवन की राह में एक नए तरह से चलने का मार्गदर्शन देती हैं, उनके विचारों से हम सभी के खून में उबाल आ जाता है। इसलिए हर साल 12 January को हम उनके जन्म दिवस को राष्ट्रीय युवा दिवस (National Youth Day) के नाम से मनाते हैं।

आज हम ना केवाल उन कहानियों के बारे में जानेंगे, बल्कि उस महान आत्मा ने कैसे इस दुनिया को अलविदा कहा था वो भी जानेंगे।

Swami Vivekananda Life Story
Swami Vivekananda

Story 1: जब Vivekananda जी के आश्रम में आया वो व्यक्ति

एक बार स्वामी विवेकानंद के आश्रम में एक व्यक्ति आता है, और वो बहुत ही परेशान लग रहा था। आश्रम में आते ही वो विवेकानंद जी के चरणों में गिर गया, और बोला कि स्वामी जी, मैं अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में बहुत महनत करता हूँ, अपना हर काम पूरी लगन के साथ करता हूँ, लेकन फिर भी आज तक मैं कभी उतना सफल नहीं हो पाया जितनी मैं महनत करता हूँ, जितना मैं होना चाहता हूँ।

फिर वो कहता है कि पता नहीं क्यों भगवान ने मुझे ऐसा नसीब दिया है, कि मैं इतना पढ़ा लिखा हूँ, इतनी चाहत से अपना हर काम करता हूँ, लेकिन उसके बावजूद भी मैं उतना सफल नहीं हो पाया।

अब एक मज़े की बात… Swami Vivekananda उसकी प्रॉब्लम तो अच्छी तरह समझ गए थे, लेकिन फिर भी उन्होंने उससे कहा कि, तुम जाओ पहले मेरे कुत्ते को ज़रा बाहर तक घुमाके लाओ, उसके बाद ही मैं तुम्हारे इस प्रश्न का उत्तर दूँगा। ये सुनकर वो बड़ा चौंक गया और स्वामी जी को बड़ी अजीब तरह से घूरने लग गया।

लेकिन फिर उसके बाद जब वो कुत्ते को घूमाकर आश्रम में लौटा, तो स्वामी जी ने देखा कि उनका कुत्ता बहुत हांप रहा है। तो उन्होंने उस व्यक्ति से पूछा की क्यूँ भई, ये कुत्ता इतना हांप क्यों रहा है और तुम पूरी तरह से मस्त हो, बिल्कुल भी थके-हारे नहीं लग रहे हो।

तो उसने बताया कि, स्वामी जी जब मैं इसे घुमा रहा था तो ये गलियों में जा-जाकर दूसरे कुत्तों से लड़ रहा था और उनके पीछे भाग रहा था।

Swami Vivekananda जी बोले, बस यही तुम्हारे प्रश्न का उत्तर है। तुम भी अपनी जिंदगी में दूसरे लोगों से आगे निकलने के चक्कर में उनके पीछे भाग रहे हो। तुम्हें भले ही लग रहा है कि तुम उनसे आगे निकल रहे हो लेकिन असल में तुम और ज्यादा पीछे जाते जा रहे हो। तुम अपने खुद के बनाये एक रास्ते पर नहीं चल रहे, इसलिए यही वजह है कि तुम आज मेरे पास ये प्रश्न लेकर आये हो।

Story 2: Swami Vivekananda की मौत का असल कारण

विवेकानंद जी अपने शब्दों के बहुत पक्के थे। वो अपने अनुशासन के आगे किसी को नहीं आने देते थे, चाहे वो उनकी माँ ही क्यूँ ना हो।

ये बात है सन् 1902 की, जब स्वामी जी को बहुत सारे बीमारियों ने घेर लिया था। तब ही एक दिन जब उनकी हालत ठीक नहीं थी तो उनकी माँ उनके आश्रम में ख्याल रखने आई। जैसे ही उन्होंने अपनी माँ को देखा, तो वो बिल्कुल आग-बबुला हो गए और आश्रम के बाकी लोगोँ से माँ को आश्रम के बाहर ले जाने को कहा।

तभी एक व्यक्ति उनसे बोला कि स्वामी जी ये तो आपकी माँ हैं और आपकी ऐसी हालत में आपका ख्याल रखने के लिए यहाँ आई हैं। विवेकानंद जी बोले, मेरी माँ हैं तो क्या हुआ, आश्रम के नियम तो सबके लिए समान है… इस ब्रह्मचर्य आश्रम में कोई भी औरत नहीं आ सकती, चाहें वो मेरी माँ ही क्यों न हो। और फिर उनकी माँ को आश्रम से भेज दिया गया।

उसी साल उसके ठीक अगले ही महीने में विवेकानंद जी का मात्र 39 साल की उम्र में देहांत हो गया। वो मात्र 39 वर्ष में Migraine, Cancer, Asthma आदि जैसी 31 बीमारियों का शिकार हो गए थे। और इसी वजह से उनकी मौत हो गयी थी।

Swami Vivekananda death

Story 3: Swami Vivekananda ने क्या दिया जवाब

ये बात है तब की, जब स्वामी विवेकानंद एक राजा से मिलने उसके महल गए थे। जब वो महल पहुँचे तो उनके हाथ में भागवान की एक मूर्ति थी। उस मूर्ति देखके राजा ने स्वामी जी से कहा कि स्वामी जी ये क्या है, आप मूर्ति-पूजा वगेरा में विश्वास करते हो, इसमें कोई जान वगेरा नहीं होती, इसे बाहर फेक दो।

तो विवेकानंद जी ने अपनी सूझ-बूझ के साथ जवाब देते हुए कहा कि ये दीवार पे तस्वीर किसकी लटकी है इसे नीचे उतारो और इसपे थूको, ये तो सिर्फ एक कागज़ के उपर एक फ्रेम को लगाया गया है।

ये सुनकर राजा को बड़ा गुस्सा आया और बोला कि स्वामी जी आप साधु होकर ऐसी बात कर रहे हैं, मेरे मृत पिता की तस्वीर पर थूकने को कह रहे हो। इनमें मेरी जान बस्ती है।

स्वामी जी हस्ते हुए बोले कि राजा, जिस प्रकार इस फ्रेम से, इस तस्वीर से आपका दिल जुड़ा है, उसी तरह ये मूर्ति मेरे लिए सिर्फ एक मूर्ति नहीं है, बल्कि पूरी की पूरी एक जिंदगी है। मैं जब भी अकेला होता हूँ तो अपने मन की हर एक बात इस भगवान से करता हूँ, और मुझे हर चीज़ का हल मिल जाता है।

“राजा, सोच तो सिर्फ हमारे दिल और दिमाग की है। अगर हम किसी चीज़ को दिल से चाहें, तो वो चीज हमारी जिंदगी का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा बना जाती है, वहीं अगर उसे दिमाग से चाहें तो वो हमारे लिए कुछ भी नहीं होती।”

होम पेजClick Here

FAQ

Q: How Swami Vivekananda died ?

Ans: वो Cancer, Asthma आदि जैसी 31 बीमारियों का शिकार हो गए थे।

Q: Why is Swami Vivekananda so famous ?

Ans: उनके विचारों ने हर एक युवा को प्रेरित किया है।

Q: When did Swami Vivekananda died at what age ?

Ans: 4 जुलाई 1902 में, मात्र 39 साल की उम्र में।

WhatsApp Group Join Now

Leave a comment