Ram Mandir Inauguration
राम मंदिर के उद्घाटन में जल्दबाजी करने के वजह से Bhartiya Janta Party (BJP) को उन्हीं के कुछ नेताओं से आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. हाल ही में सनातन धर्म के आध्यात्मिक नेताओं ने यानी कि शंकराचार्यों ने राम मंदिर के उद्घाटन में शामिल होने से मना कर दिया है. उनमें से ज़्यादातर शंकराचार्यों ने इस बात को लेकर नाराज़गी जतायी कि इस कार्यक्रम में सनातन धर्म के नियमों का उलंघन हो रहा है.
इसी वजह से उत्तराखंड में ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की तरफ से यह बताया गया है कि 22 जनवरी को शायद अयोध्या में राम मंदिर उद्घाटन में चार शंकराचार्य शामिल नहीं होंगे. [Ram Mandir Inauguration]
अब जानने वाली बात यह है कि आखिर ये चार शंकराचार्य है कौन, और क्यों यह Ram Mandir के इस ऐतिहासिक उद्घाटन पर आपत्ति जता रहे हैं.
![Ram Mandir Inauguration](https://theonlinegyan.in/wp-content/uploads/2024/01/Ram-Mandir-Inauguration.jpg)
Shankaracharya Swami Shri Nischalananda Saraswati
स्वामी श्री निश्चलानंद सरस्वती जो ओडिशा के जगन्नाथ पुरी में गोवर्धन पुरी पीठ के 145वें शंकराचार्य हैं. उन्होंने 9 फरवरी 1992 (विक्रम संवत 2048) को इस पीठ के प्रमुख के रूप में इसकी जिम्मेदारी संभाली थी. शंकराचार्य श्री निश्चलानंद सरस्वती ने 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाग लेने से इनकार कर दिया है.
राम मंदिर उद्घाटन का निमंत्रण मिलने के बाद शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि यह समारोह अब एक राजनीतिक शो में बदल गया है. उन्होंने कहा कि – “देश के प्रधानमंत्री गर्भगृह में रहेंगे, मूर्ति को स्पर्श करेंगे और प्राण प्रतिष्ठा समारोह करेंगे. इसे राजनीति का रूप दे दिया गया है, अगर भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा होनी है तो इसके अनुरूप होनी चाहिए.” मैं न तो इसका विरोध करूंगा, और न ही इसमें भाग लूंगा. मैंने अपना फैसला ले लिया है. आइए आधा सच और आधा झूठ न मिलाएं; सब कुछ शास्त्र ज्ञान के अनुरूप होना चाहिए.”
उन्होंने यह भी कहा कि समारोह “शास्त्रीय दिशानिर्देशों” के अनुसार किया जाना चाहिए, वरना “देवता की चमक कम हो जाती है, और राक्षसी शक्तियाँ प्रवेश करती हैं, जिससे सिर्फ विनाश होता है”।
![Ram Mandir Inauguration](https://theonlinegyan.in/wp-content/uploads/2024/01/IMG_20240115_022116-1.jpg)
Shankaracharya Swami Avimukteshwaranand
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद वो हैं जो उत्तराखंड के ज्योतिर मठ में सभी धार्मिक गतिविधियों और समारोहों का प्रबंधन करते हैं. यह संत कोई मामूली संत नहीं बल्कि आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार प्रमुख पीठों में से एक है. उन्होंने 2006 में स्वामी स्वरूपानंद से गुरु दीक्षा ली थी. इंटरनेट की एक बहुत ही जानी-मानी वेबसाइट ‘विकिपीडिया के अनुसार’, तब से वो सभी धार्मिक गतिविधियों की देखभाल कर रहे हैं.
ज्योतिष पीठ मठ के शंकराचार्य Avimukteshwaranand ने 22 जनवरी को अयोध्या के राम मंदिर समारोह में शामिल ना होने के लिए एक ऐसी बात कही है जो आपको सोचने पर मजबूर कर देगी. [Ram Mandir Inauguration]
उन्होंने कहा कि मंदिर का निर्माण सनातन धर्म की जीत का प्रतीक है ही नहीं, क्योंकि “अयोध्या में पहले से ही एक राम मंदिर था, और इसका पुन:निर्माण कराना धर्म के लिए कोई जीत या उपहार नहीं है. 22 जनवरी को आध्यात्मिक नेताओं यानी कि शंकराचार्यों का अयोध्या न जाना उनकी राजनीतिक बाधाओं का कारण हो सकता है, लेकिन ऐसी कोई बाधा मुझे बाध्य नहीं करती है. जब गौ-हत्या देश में समाप्त हो जायेगी, तो मैं उत्साह के साथ जश्न मनाते हुए अयोध्या के Ram Mandir का दौरा करूंगा.
ANI यानी Asian News International ने अविमुक्तेश्वरानंद के तरफ से कहा, माननीय अदालत के फैसले के बाद से, यह जमीन हिंदुओं की है, और इसका उपयोग या दुरुपयोग उनकी बुद्धि और विवेक पर निर्भर करता है”.
Shankaracharya Bharati Teerth
श्रृंगेरी शारदा पीठ (Sringeri Sharada Peeth) के शंकराचार्य भारती तीर्थ, पीठ के 36वें शंकराचार्य हैं. जबकि मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक बताया गया कि वो 22 जनवरी के अद्भुत राम मंदिर कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे.
अभी हाल ही में, श्रृंगेरी मठ ने उन सभी मीडिया रिपोर्टस को खारिज कर दिया है, जिनमें दावा किया गया था कि उसने प्राण-प्रतिष्ठा समारोह पर नाराजगी व्यक्त की थी. अभी यह स्पष्ट नहीं है कि शंकराचार्य प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होंगे या नहीं।
Shankaracharya Sadanand Saraswati
सदानंद सरस्वती पश्चिमन्नया द्वारका शारदापीठ के शंकराचार्य हैं. सदानंद सरस्वती भी संत आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार प्रमुख पीठों में से एक है. Gujarat के द्वारका में स्थित इसे कालिका मठ के नाम से भी जाना जाता है.
सूत्रों की माने तो शंकराचार्य सदानंद सरस्वती भी इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे. हालांकि, आध्यात्मिक नेताओं की ओर से अभी तक इसके बारे में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.
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FAQs: Ram Mandir inauguration
Ram Mandir किसने बनवाया ?
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र।
Ram Mandir का फैसला कब हुआ ?
9 नवंबर, 2019 को।
Ram Mandir inauguration कब हुआ ?
22 जनवरी, 2024 को।